लोकराज लोक लाज से चलती है । यह सरकार लोकलाज खो चुकी है । इसकी आंखों में न हया का पानी बचा है न दया का पानी शेष रहा । लोकलाज खोने का सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि सरकार स्याह सुलगते सवालों से दो चार होने की बजाय सच को छुपाने में लगी है । डुमरियागंज में पत्रकार ने पूछ लिया कि 50 बेड के अस्पताल के उद्घाटन की घोषणा की जबकि यहां मात्र 2 बेड दिख रहे हैं । योगी जी द्वारा हठ करने के बाद टिकट पाए और प्रदेश में सबसे कम मतों से बामुश्किल से जीतने वाले विधायक और एसडीएम की मौजूदगी में पत्रकार की निर्मम पिटाई की गई । इनका राम और रामराज से कोई सरोकार नहीं है । आज यदि रामराज के चितेरे और राम चरित मानस के रचयिता तुलसी दास जी आज होते तो योगिराज को चित्रित करते हुए लिखते-

दैविक, दैहिक भौतिक तापा
योगिराज यहहिं चहहूँ व्यापा

मैंने बहुत पहले ही कहा था कि यह राम का नाम लेने वाली रावणी सरकार है, जिसके पांच मुंह कुछ तो पांच मुंह कुछ बोलते हैं.....

गोविंद बल्लभ पंत जी से लेकर भाई अखिलेश तक अब जीतनी भी सरकारें रही हैं यह सबसे अधिक आत्ममुग्ध, आत्मकेंद्रित वआत्मश्लाघा वाली सरकार है। इनका जनता से कोई सरोकार नहीं है, ये नागपुर और गुजरात से रिमोट से चलते हैं । भाजपा में कोई बोलने वाला नेता नहीं है । सच को छुपाना पाप होता है, ये पापी सरकार है.....